फाइनेंशियल ईयर 2023-24 (एसेसमेंट ईयर 2024-25) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITRs) भरने की आखिरी तारीख नजदीक आ रही है। यह तारीख 31 जुलाई है। लिहाजा, टैक्सपेयर्स को इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। आपको कैपिटल गेन्स टैक्स स्टेटमेंट, फॉर्म 16, फॉर्म 26 एएस, एन्युअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS), सैलरी स्लिप, पिछले साल का ITR आदि इकट्ठा कर लेना चाहिए
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 (एसेसमेंट ईयर 2024-25) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITRs) भरने की आखिरी तारीख नजदीक आ रही है। यह तारीख 31 जुलाई है। लिहाजा, टैक्सपेयर्स को इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। आपको कैपिटल गेन्स टैक्स स्टेटमेंट, फॉर्म 16, फॉर्म 26 एएस, एन्युअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS), सैलरी स्लिप, पिछले साल का ITR आदि इकट्ठा कर लेना चाहिए, ताकि रिटर्न भरने में किसी तरह की अड़चन पैदा न हो।
ITR-1 फॉर्म सबके लिए लागू नहीं
अगर आप वेतनभोगी या पेंशनर हैं और आपके पास बिजनेस या प्रोफेशन से कोई इनकम नहीं है, तो आपको ITR-1 या ITR-2 फॉर्म भरना होगा। यह पक्का करें कि आप सही ITR फॉर्म भरें, क्योंकि गलत फॉर्म का इस्तेमाल करने पर आपका रिटर्न ‘गड़बड़’ हो सकता है।
ITR-1 के लिए योग्यता की जांच करें
आप अपना रिटर्न ITR-1 के जरिये नहीं भर सकते, अगर:
- आप रेजिडेंट हैं, लेकिन ऑर्डिनरीली रेजिडेंट (RNOR) या नॉन-रेजिडेंट इंडिविजुअल नहीं हैं
- आपकी इनकम 50 लाख से ज्यादा
- आपके पास बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम है
- आपके पास एक घर से ज्यादा है
- कृषि से आपकी इनकम 5,000 रुपये से ज्यादा है
- आप किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं
- आपके पास अनलिस्टेड शेयर या ESOPs (एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शंस) हैं
- आप पास फॉरेन इनकम है या भारत के बाहर संपत्तियां (पेंशन भी) और बैंक खाते हैं, चाहे उसमें पैसा जमा रहे या नहीं।
- आपने शेयरों की बिक्री, म्यूचुअल फंड यूनिट्स और अन्य सिक्योरिटीज के जरिेय कैपिटिल गेन्स हासिल किया है और नुकसान सहा हो।
-इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 194एन के तहत टैक्स काटा गया हो। इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, अगर आपने किसी फाइनेंशियल ईयर में 20 लाख रुपये से ज्यादा कैश निकाला हो (बशर्ते पिछले तीन साल में कोई रिटर्न नहीं फाइल किया गया हो) । इसक अलावा, अगर आपने पिछले तीन एसेसमेंट ईयर में या किसी एक एसेसमेंट ईयर में रिटर्न फाइल किया है, तो कैश निकासी की सीमा 1 करोड़ रुपये है।
ऐसे मामलों में वेतनभोगी लोगों और पेंशनर्स को ITR-2 फॉर्म का इस्तेमाल करना चाहिए, जो थोड़ा जटिल होता है, क्योंकि इसमें इनकम, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन, एसेट और लाइबिलिटीज का ब्यौरा मांगा जाता है।
अगर आपके पास बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम है, तो आप ITR-2 फॉर्म का भी इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। ऐसे मामलों में आपको यह देखना कि आपके लिए ITR-3 या ITR-4 (सुगम) में कौन सा फॉर्म ज्यादा उपयोगी है।